खेती

प्राकृतिक खेती और इसके फायदे.

Image from: naturalfarming.niti.gov.in

प्राकृतिक खेती, जिसे शून्य-बजट खेती या कुछ न करने वाली खेती के रूप में भी जाना जाता है, एक कृषि पद्धति है. जो पानी के पुनर्जनन पानी और गुणवत्ता के सुधार करने, पारिस्थितिकी तंत्र जैव विविधता को बढाने पोषक तत्वों से भरपूर भोजन का उत्पादन करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद करने के लिए कार्बन को स्टोर करने में मदद करता है.

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार प्राकृतिक खेती की परिभाषा कुछ इस प्रकार से दी गयी है, “प्राकृतिक खेती एक रसायन मुक्त प्रणाली है जिसमें कम लागत वाले इनपुट जैसे गाय के गोबर/मूत्र पौधे के अर्क आधारित के साथ-साथ मल्चिंग और इंटरक्रोपिंग जैसी अनुशंसित कृषि प्रथाओं का उपयोग किया जाता है.” 

वहीँ निति आयोग के अनुसार प्राकृतिक खेती की परिभाषा कुछ इस तरह से है, “रसायन मुक्त और पशुधन आधारित खेती” के रूप में परिभाषित किया जा सकता है. यह परिभाषा प्रचलित प्रथाओं पर आधारित है. कृषि-पारिस्थितिका आधारित, यह एक विविध कृषि प्रणाली है जो फसलों, पेड़ों और पशुधन को एकीकृत करती है.

प्राकृतिक खेती की विशेषताएं क्या हैं?

प्राकृतिक खेती 2.0 प्राकृतिक खेती के विकसित या आधुनिक संस्करण को संदर्भित करता है जो सिंथेटिक उर्वरकों या कीटनाशकों पर निर्भर किए बिना टिकाऊ कृषि पद्धतियों पर जोर देता है। यह दृष्टिकोण मिट्टी के स्वास्थ्य, जैव विविधता और फसल उत्पादकता में सुधार के लिए समकालीन नवाचारों और वैज्ञानिक अंतर्दृष्टि के साथ पारंपरिक खेती के तरीकों को एकीकृत करता है। मुख्य सिद्धांतों में अक्सर जैविक इनपुट, फसल चक्रण, कवर फसल, न्यूनतम जुताई और संतुलित और आत्मनिर्भर कृषि प्रणाली को बनाए रखने के लिए प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र प्रक्रियाओं को बढ़ाना शामिल होता है।

प्राकृतिक खेती ही क्यों?

प्राकृतिक खेती को गृह को बचाने को एक प्रमुख रणनीति के रूप में पुनार्योजी कृषि का एक रूप माना जाता है.शोध से पता चलता है की पोधों की वृद्धि के लिए सभी प्रमुख आवश्यक पोषक तत्व जड़ क्षेत्र के पास उपलब्ध है और पोधे हवा, पानी और सौर ऊर्जा से लगभग 98 से 98.5 पोषक तत्व और शेष 1.5% पोषक तत्व मिटटी से लेने में सक्षम होते हैं साथ ही प्राकृतिक खेती काफी हद तक ओन-फॉर्म बायोमास रीसाइकिलिंग पर आधारित है. जो की काफी अच्छी बात है और पर्यावरण के लिए काफी फ्रेंडली है. एक औत्र बेहद ज़रूरी चीज़ की प्राकृतिक खेती में लागत बहुत कम आती है, जिससे किसान की आय बढ़ जाती है.

प्राकृतिक उर्वरक

रासायनिक उर्वरकों पर निर्भर रहने के बजाय, प्राकृतिक खेती में पोषक तत्वों के प्राकृतिक स्रोतों के उपयोग पर ध्यान केंद्रित करते हैं. इसमें मिट्टी को समृद्ध करने और उसकी उर्वरता बढ़ाने के लिए खाद, हरी खाद, गोबर की खाद और कंपोस्ट खाद का उपयोग करना शामिल है.

Sharik Malik

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