एक में अध्ययन में पाया गया है कि मनुष्य ने लगभग 1,400 पक्षी प्रजातियों को समाप्त कर दिया है जो कि पहले अनुमानित संख्या से दोगुनी हैं।
यूके सेंटर फॉर इकोलॉजी एंड हाइड्रोलॉजी (यूकेसीईएच) के अनुसार आधुनिक मानव इतिहास में गायब होने वाली प्रजातियों में से नौ में से एक या 12 प्रतिशत प्रजातियां गायब हो रही हैं।
वनों की कटाई, अत्यधिक शिकार और आक्रामक प्रजातियों का प्रवेश, लगभग 130,000 वर्ष पूर्व प्लीस्टोसीन काल के बाद से मानव द्वारा लाए गए कुछ मुख्य खतरे हैं।
यूकेसीईएच में पारिस्थितिकी मॉडलर और अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ. रॉब कुक कहते हैं, “मनुष्य ने आवास की क्षति, अतिदोहन और चूहों, सूअरों और कुत्तों को लाकर पक्षियों की आबादी को तेजी से नष्ट कर दिया है, जो पक्षियों के घोंसलों पर हमला करते हैं और भोजन के लिए उनके साथ मुकाबला करते हैं।
जलवायु परिवर्तन, गहन कृषि और प्रदूषण ने पिछली शताब्दी में इस खतरे को बढ़ा दिया है।
पक्षियों के विलुप्त होने से जैव विविधता संकट पर ‘बड़े प्रभाव’ पड़ेंगे
देश में सभी पक्षियों के अच्छी तरह से संरक्षित अवशेषों के कारण , यह दुनिया का एकमात्र स्थान है, जहां मानव-पूर्व पक्षी जीवों के बारे में पूरी जानकारी है।
कुक कहते हैं, “हमने दिखाया है कि कई प्रजातियां लिखित रिकॉर्ड से पहले ही समाप्त हो गईं और कोई निशान नहीं छोड़ा, इतिहास से गायब हो गईं। गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय के सह-लेखक डॉ. सोरेन फौर्बी कहते हैं, “इसका वर्तमान जैव विविधता संकट पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा।
वे बताते हैं, “विश्व ने न केवल अनेक आकर्षक पक्षियों को खो दिया है, बल्कि उनकी विविध पारिस्थितिक भूमिकाएं भी खो दी हैं, जिनमें संभवतः बीज प्रकीर्णन और परागण जैसे प्रमुख कार्य शामिल थे।
कौन से पक्षी विलुप्त हो गए हैं?
विलुप्त हो चुकी पक्षी प्रजातियों में मॉरीशस का प्रतिष्ठित डोडो, उत्तरी अटलांटिक का ग्रेट औक और कम प्रसिद्ध सेंट हेलेना जायंट हूपो शामिल हैं।
नेचर कम्युनिकेशन्स में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, प्लीस्टोसीन युग के बाद से 640 पक्षी प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं, जिनमें से 90 प्रतिशत प्रजातियां ऐसे द्वीपों पर रहती थीं जहां मनुष्य निवास करते थे।
अनुमान है कि 790 से अधिक अज्ञात प्रजातियाँ भी उनके साथ जुड़ गई होंगी। कुक के अनुसार, इनमें से केवल 50 प्रजातियाँ ही प्राकृतिक रूप से विलुप्त हुई होंगी।
अध्ययन का अनुमान है कि 14वीं शताब्दी के दौरान हवाई और कुक द्वीप जैसे पूर्वी प्रशांत द्वीपों पर लोगों के आने के बाद 570 पक्षी प्रजातियाँ लुप्त हो गईं। एक रिसर्च के अनुसार, यह प्राकृतिक विलुप्ति दर से लगभग 100 गुना अधिक है और संभवतः इतिहास में सबसे बड़ी मानव-चालित कशेरुकी विलुप्ति घटना है।
आज केवल 11,000 पक्षी प्रजातियां ही बची हैं, जिनमें से 700 अगले कुछ सौ वर्षों में विलुप्त हो सकती हैं।
कुक कहते हैं, “पक्षियों की और प्रजातियाँ विलुप्त होंगी या नहीं, यह हम पर निर्भर करता है। हाल ही में किए गए संरक्षण ने कुछ प्रजातियों को बचाया है और अब हमें स्थानीय समुदायों के नेतृत्व में पक्षियों के आवास की बहाली के साथ-साथ पक्षियों की सुरक्षा के लिए प्रयास बढ़ाने चाहिए।”