जलवायु परिवर्तन

Climate Change: भीषण गर्मी ने बदल डाला फलों का स्वाद, आमों का साइज हुआ छोटा, खीरा हो रहा कड़वा, केले में आए ये बदलाव।

कुछ किसानों का ये भी कहना है कि भीषण गर्मी का असर आमों पर भी देखने को मिल रहा है। क्योंकि आमों के बागो के लिए सिंचाई करनी पड़ती है। यदि उनमें नमी नहीं रहती और तापमान का प्रभाव पड़ता है तो आमों का साइज छोटा हो जाता है। ऐसे में किसानों का कहना है कि लागत और मेहनत दोनों अधिक लग रही है।

भारत में पड़ रही भीषण गर्मी का असर अब घरों में इस्तेमाल होने वाली सलाद सब्जी पर भी नजर देखने को मिल रही है। क्योंकि बाज़ारों और मंडियों में फल-सब्जियां कम देखने को मिल रही हैं। और ऐसे जो फल -सब्जी मंडी में पहुंच रहे हैं उनमें काफी कड़वाहट देखने को मिल रही है। अगर हम सलाद के लिए इस्तेमाल होने वाली सब्जी की बात करें तो सबसे पहले हमारी नज़र खीरे पर जाती है। जो पूरी तरह कड़वा हो चूका है। और अगर जामुन की बात करें तो ये मौसम जामुन का चल रहा है, लेकिन बजारों में जामुन बिक रहे हैं अभी पूरी तरह से पके नहीं हैं जबकि ऐसे मौसम जामुन खूब बिकने लगती थी। इस भीषण गर्मी अगर हम केले की बात करें तो ऐसे में केले का भी स्वाद बदल चुका है।

तापमान कारण दोगुना हुए फल-सब्जियों के दाम

दरासल, बीते कुछ दिनों से उत्तर भारत भीषण गर्मी की चपेट में है। बजारों-मंडियों में फल -सब्जियों के दामों में आग लग चुकी है। बढ़ते तापमान के कारण खेतो में लगे हरी सब्जियों के पौधे जल चुके हैं। अगर इस भीषण गर्मी में फल-सब्जी मंडी में बिकने के लिए जा रहे हैं तो पहुंचने में खराब हो रहे हैं। तापमान ज्यादा है, जिन खेती को ज्यादा तापमान की जरूरत नहीं होती है। उनकी खेती नष्ट हो रही है, जैसे खीरा, तोरई, टमाटर इन सबकी फसल नष्ट हो गई है। जिसके कारण बाज़ारों में 50 फिसदी से ज्यादा उछाल देखने को मिला है।

दिल्ली आजादपुर मंडी के व्यपारियो का कहना है कि देश में भीषण गर्मी के कारण हरी सब्जियों के सप्लाई घटी है। व्यापारियों का कहना है कि आम की फसल के बाद जामुन बजारों में खूब देखने को मिलती थी लेकिन अभी तक यूपी का जामुन मंडी तक नहीं पहुंच पाया है। कुछ जामुन देखने को मिल रहा लेकिन किसी और राज्यों का है।

तापमान के कारण गायब होते फल

व्यापारियों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में इस बार पूरी जून ठीक से बारिश नहीं पड़ी है। अगर बारिश पड़ जाती तो उत्तर प्रदेश का जामुन दिखाई देने लगता क्योंकि बारिश के कारण ही जामुन पकता है। पीछले वर्ष इन में काफी बारिश देखने को मिल गई थी। जिसकी वजह से जामुन आने की शुरुआत भी हो गई थी। लेकिन इस बार भीषण गर्मी के कारण जामुन सूखकर गिर रहा है। जिसकी वजह से किसानों को नुकसान का सामना भी करना पड़ा रहा है। ऐसे में फल तो महंगे दामों में मिल रहे हैं। लेकिन उनमें कोई स्वाद नहीं आ रहा है। तापमान के कारण आम केले की मिठास मर चुकी है। फीकापन है, बहुत जल्दी पिलपिला पड़ रहा है।

दिल्ली आजादपुर मंडी के व्यपारियो कहना है कि घरो में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला खीरा भी कड़वा हो गया है। और साथ ही खीरा,आलू-टमाटर दाम भी दोगुना हो गए हैं। अब खीरे की फसल बारिश के बाद आयेगा। ऐसे में अगर कुछ किसानों के पास खीरे की फसल है। तो किसान उन्हें सुरक्षित रखने के लिए काफी पानी दे रहे हैं। लेकिन बढ़ती सिंचाई की लागत से किसान परेशान हैं। अगर उनमें पानी की कमी हो जाती है तो खीरा कड़वा हो जा रहा है. लागत भी और मेहनत दोनों अधिक लग रही है और किसानों को अच्छे दाम भी नहीं मिल रहे हैं।

छोटा होता आमों का साइज

कुछ किसानों का ये भी कहना है कि भीषण गर्मी का असर आमों पर भी देखने को मिल रहा है। क्योंकि आमों के बागो के लिए सिंचाई करनी पड़ती है। यदि उनमें नमी नहीं रहती और तापमान का प्रभाव पड़ता है तो आमों का साइज छोटा हो जाता है। ऐसे में किसानों का कहना है कि लागत और मेहनत दोनों अधिक लग रही है। कुछ कृषि जानकारों का ये भी कहना है कि पहले अधिक सर्दी और अब अधिक गर्मी भी आमों के उत्पादन पर असर दिखाई दे रहा है।

ज्यादा सर्दी का आमों के उत्पादन दिखा असर

पिछले साल जनवरी के महीने में कम धूप निकलने कारण आमों के फूल के आने प्रकिया काफी धीमी हो गई थी और जिन बागो में फूल देरी से आया तो वह गर्मी का शिकार हो गया। उत्तर प्रदेश में 20 फीसदी आमों का उत्पादन होता है।

पूरा उत्तर भारत इन दिनों भीषण गर्मी की चपेट में है। हीटवेव के कारण बीते कई दिनों से फल-सब्जियों की कीमतों में उछाल देखने को मिल रहा है। पिछले एक हफ्ते में कई सब्जियों के दाम दोगुने हो गए हैं। बढ़ते तापमान के कारण खेतों में हरी सब्जियों के पौधे भी जल गए हैं। 

देश में पड़ रही भीषण गर्मी का असर अब घरों में बनने वाली सब्जियों के साथ सलाद और फलों पर भी नजर आ रहा है। गर्मी के कारण पहले ही सब्जियों और फलों की आवक बाजार में कम हो गई है। लेकिन जो सब्जियां और फल मंडी में आ रहे हैं, उनमें भी ज्यादातर में कड़वाहट है। खीरे कड़वे हो गए हैं, जबकि जो जामुन बाजार में आए है वह भी ठीक से पके नहीं हैं। आम और केले के स्वाद का भी बदल गया है।

Sharik Malik

About Author

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may also like

जलवायु परिवर्तन

Climate change: सूखे की मार झेल रहे मोरक्को के किसान, मोरक्को के गेहूँ के सुनहरे खेत अब पहले जैसी पैदावार नहीं देते।

अफ्रीका: मोरक्को में गेहूँ के सुनहरे खेत अब पहले जैसी पैदावार नहीं देते। छह साल के सूखे ने देश के
Image from Sciline.org
जलवायु परिवर्तन

जम्मू-कश्मीर में इस वर्ष 27 प्रतिशत कम बारिश की वजह से कृषि और कश्मीरी हुए प्रभावित।

श्रीनगर: जम्मू और कश्मीर के लिए एक चिंताजनक बात यह है कि इस वर्ष राज्य में वर्षा में 27 प्रतिशत