फल-फूल और सब्ज़ी

पिता के निधन के बाद नौजवान किसान की करेले की खेती ने बदली किस्मत, जानें करेले की खेती का सही तरीका।

Photo | Gaon Yatra

उत्तर प्रदेश : जिला मुरादाबाद के किसानों को करेले की खेती लखपति बना रही है। और ऐसे में जो किसान करेले की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. उन्हें देखकर अन्य किसान भी करेले की खेती की तरफ अकृषित हो रहे हैं. उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के रमेश 25 सालों से करेले की खेती से खूब लाभ कमा रहे हैं।

आपको बता दें कि करेले की खेती से अच्छा मुनाफा कमाने वाले किसानों को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका खेतों को तैयार करने की रहती है. तो जानिए क्या उनके सामने चुनौतियां रहती हैं. और कैसे मुरादाबाद के किसान भाई मोटा मुनाफा कमा रहे हैं.

कैसे की जाती है करेले की खेती।

उत्तर प्रदेश जिला मुरादाबाद के किसान इस समय अपने खेतों में जाल लगाकर करेले की खेती कर रहे हैं. जिससे उन्हें करेले की खेती में लाखों रूपये का फायदा हो रहा है. मुरादाबाद के नगर पंचायत पाकबड़ा के रहने वाले किसान रमेश ने Gaon Yatra को बताया कि मुझे करेले की खेती करते हुए 25 साल हो गए हैं. मैं 25 साल से करेले की खेती कर रहा हूँ. मुझे अभी तक करेले की खेती में कोई नुकसान नहीं हुआ है. रमेश ने बताया कि हम बारिश के दिनों में सब्जियों की खेती करते हैं जिससे हमें बहुत कम लागत पर काफी अच्छा मुनाफा हो जाता है।

करेले की खेती अब अन्य किसानों को आकर्षित कर रही है।

जब उनसें पूछा गया कि करेले खेती के कितना तापमान होना जरूरी है. तो किसान रमेश ने हमें बताया कि “करेले की खेती के लिए 35 डीग्री तक तापमान होना जरूरी है जिससे इसकी अच्छी पैदावार हो सकें.आगे हमें रमेश ने बताया कि अच्छा मुनाफा देखकर अब अन्य किसान भाई भी करेले की खेती की तरफ अकृषित हो रहे हैं।”

किन-दिनों करनी चाहिए बुवाई।

जब किसान रमेश से पूछा गया कि करेले की खेती की लिए सबसे उचित समय कौनसा है तो रमेश ने हमें बताया कि “करेले की खेती के लिए सबसे अच्छा समय बरसात का मई-जून का है.और सर्दियों में करेले की खेती के लिए सबसे उचित समय जनवरी-फरवरी माना जाता है. किसान रमेश ने बताया कि करेले की ज्यादा पैदावार के लिए गोबर का खाद डालने के कुछ दिन बाद उसको कल्टीवेटर से कटवा देना चाहिए बाद में उसकी जुताई करें फिर मिट्टी को भुरभुरा बनाकर उसपर पाटा लगवा कर समतल कर देना जरूरी है. करेले के बुवाई से पहले खेत में नालियां बना ले ताकि खेत में खेत के अंदर जलभराव वाली स्थिति ना रहे. मिट्टी को समतल बनाया जाता है तो खेत के दोनों तरफ नालियां भी बनाईं जाती हैं।”

बीजों की बुवाई का सही तरीका।

करेले की बुवाई का सही तरीका ये है कि एक एकड़ करेला बुवाई के लिए 600 ग्राम बीच पर्याप्त होना जरूरी है. आपको बता दें कि करेले के बीजों की बुवाई के लिए लगभग 2 से 3 इंच तक की गहराई होना चाहिए. और एक नाली से दूसरी नाली की दूरी लगभग 2 मीटर तथा पौधों की दूरी 70 सेंटीमीटर का होना जरूरी है. और आपको बता दें कि जब बेल निकल जाती है तो बेल को मचान पर उसे अच्छे तरीक़े से चढा देना चाहिए. और समय-समय पर करेले के पौधों की देखभाल के लिए कीटनाशक दवाओं का उपयोग करना ज़रूरी है।

Sharik Malik

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