जलवायु परिवर्तन (Climate Change) वह दीर्घकालिक परिवर्तन है जो पृथ्वी की जलवायु में होता है। यह परिवर्तन मुख्य रूप से मानव गतिविधियों के कारण हो रहा है, विशेष रूप से जीवाश्म ईंधनों (जैसे कयला, तेल और गैस) के जलने से। इन गतिविधियों के कारण वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे पृथ्वी की सतह का तापमान बढ़ता है। इसे ग्लोबल वार्मिंग भी कहा जाता है।
जलवायु परिवर्तन के प्रमुख कारण:
1. ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन: कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), मीथेन (CH4), नाइट्रस ऑक्साइड (N2O), और फ्लोरीनयुक्त गैसें (HFCs, PFCs) जैसी गैसें वातावरण में बढ़ती हैं, जो गर्मी को पृथ्वी के वातावरण में फंसाकर तापमान बढ़ाती हैं।
2. वनों की कटाई: वनों की कटाई से CO2 को अवशोषित करने की क्षमता घटती है, जिससे वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है।
3. औद्योगिकीकरण: औद्योगिक क्रियाकलापों में जीवाश्म ईंधनों का अधिक उपयोग होता है, जिससे ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ता है।
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव:
1. ग्लोबल वार्मिंग: पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ रहा है, जिससे मौसम के पैटर्न में परिवर्तन हो रहा है।
2. ग्लेशियरों का पिघलना: आर्कटिक और अंटार्कटिक क्षेत्रों में बर्फ तेजी से पिघल रही है, जिससे समुद्र का स्तर बढ़ रहा है।
3. अत्यधिक मौसम की घटनाएं: बाढ़, सूखा, तूफान और हीटवेव जैसी अत्यधिक मौसम की घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ रही है।
4. प्राकृतिक आवासों पर प्रभाव: जलवायु परिवर्तन वन्यजीवों और पारिस्थितिक तंत्रों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है, जिससे कई प्रजातियाँ संकट में हैं।
5. कृषि पर प्रभाव: बदलते मौसम और बढ़ते तापमान से फसल उत्पादन और गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है, जिससे खाद्य सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है।
जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपाय:
1. नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग: सौर, पवन और जल ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोतों का उपयोग बढ़ाना।
2. ऊर्जा दक्षता: ऊर्जा का प्रभावी और किफायती उपयोग सुनिश्चित करना।
3. वनों की संरक्षण: वनों की कटाई को रोकना और पुनर्वनीकरण (Reforestation) को बढ़ावा देना।
4. ग्रीनहाउस गैसों का नियंत्रण: औद्योगिक उत्सर्जन को कम करना और ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन पर नियंत्रण करना।
5. जागरूकता और शिक्षा: जनता को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और उससे निपटने के तरीकों के बारे में शिक्षित करना।
जलवायु परिवर्तन एक गंभीर वैश्विक चुनौती है, लेकिन इसके प्रभावों को कम करने के लिए सामूहिक और सतत प्रयासों की आवश्यकता है।